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शेयर मार्किटमें एनालिसिस के प्रकार

शेयर मार्किटमें एनालिसिस के प्रकार 

जब भी हम शेयर मार्किटमें निवेष करते हैं तो किसीभी शेयर मैं निवेश करनेसे पहले हमें उस कंपनी का और उस शेयर का कुछ एनालिसिस करना जरुरी हैं.
शेयर मार्किटमे एनालिसिस के दो प्रकार हैं.

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)

टेक्निकल एनालिसिस (Technical analysis)

फंडामेंटल एनालिसिस (Fundamental Analysis)

फंडामेंटल एनालिसिसमे कंपनी के फायदे या नुकसान दिखानेवाले बैलेंस शीट के जरिये वो कंपनी निवेश के लिए आच्छी हैं की नहीं इसका पता लगाया जाता हैं. इस एनालिसिसमे हम जिस कंपनी का स्टॉक खरीदना चाहते है, वह कंपनी आर्थिक रूप से कितना STRONG है, और वो कंपनी फ्यूचर में कितना ग्रोथ कर सकती है, इसका पता लगता हैं. फंडामेंटल एनालिसिस इस बात पर आधारित है कि अगर कंपनी लाभ कमाती है, तो उस कंपनी के शेयर के भाव निश्चित रूप से बढ़ेंगे, और इसलिए फंडामेंटल एनालिसिस में कंपनी के बैलेंस शीट  की जांच की जाती है. अगर कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस से ये पता चलता है कि  कंपनी को फ्यूचर में कुछ खास फायदा नहीं होने वाला, ये कंपनी के ऊपर कर्जे बहुत ज्यादा है, तो फंडामेंटल एनालिसिस के आधार पर निवेशकों ऐसी कम्पनी का शेयर नहीं खरीदना चाहिए.
फंडामेंटल एनालिसिस करते समय बहुत टेक्निकल टर्म्स का उपयोग होता हैं. जैसे की Market Capital, EPS, P/E, Book Value, Price Book, Dividend. इस टर्म्स का उपयोग शेयर की भविष्य की प्राइस कैलकुलेट करने में होता होता हैं. इसकी चर्चा हम आनेवाले पोस्ट मैं विस्तार से करंगे.  


किसी स्टॉक में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए हमें कंपनी के फंडामेंटल एनालिसिस पर ज्यादा ध्यान देना होता है, ताकि कंपनी मार्केट में कम अवधी के उतार चढाव से आगे निकलकर हमें लम्बी अवधी में अच्छा लाभ दे

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टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis)

     कंपनी के शेयर्स के चार्ट के द्वारा किया गया जो एनालिसिस हैं उसे टेक्निकल एनालिसिस कहते हैं.
टेक्निकल एनालिसिस के जरिये हमें उस शेयर्स के छोटी अवधी का प्राइस एक्शन समजता हैं. जिसके जरिये हम ये तय कर सकते हैं की कभी ये स्टॉक खरीदना हैं और कभी बेचना हैं. टेक्निकल एनालिसिस के जरिये हम उस स्टॉक खरीदने से पाहिले ही ये जन सकते हैं की स्टॉक का प्राइस कितना बड सकता हैं, या कितना कम हो सकता हैं. TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से हम ये जान सकते है कि, हमें मार्केट कब सौदा लेना चाहिए, और कब सौदे को पूरा करना करना चाहिए,
इस तरह  हम टेक्निकल एनालिसिस कि मदद से उस चीज़ से बच पाते है, जिसकी वजह से 90 % लोग नुकसान करते है. टेक्निकल एनालिसिस करनेके लिए बहुत सारे इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता हैं. इंडिकेटर के मदद से हमें बहुत कुछ चीजो का अंदाजा आता हैं. जैसे की,
§               शेयर्स कब ख़रीदे ?
§               शेयर्स किस भाव में ख़रीदे ?
§               शेयर्स कितना ख़रीदे?
§               शेयर्स कब बेचे ?
§              शेयर्स किस भाव में बेचे ?
§             शेयर्स कितना बेचे ?
§             और नुकसान की स्थिति में अपने नुकसान को कैसे नियंत्रित करे ?
  टेक्निकल एनालिसिस में प्राइस मूवमेंट यानी शेयर की किमत किस हद तक बढ़ सकती हैं इसका पता लगाना आसन हो जाता हैं. अगर सही समय पर पता चल जाता हैं, तो ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस से  जादा मुनाफा कम सकता हैं. 

  


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