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शेयर बायबैक क्या होता हैं?

शेयर बायबैक क्या होता हैं?

हम हमेशा सुनते हैं की कोई कंपनी ने शेयर बाय बैक किया हैं. तो आज हम जानेगे की शेयर बाय बैक क्या होता हैं,वो कैसे किया जाता हैं और उसका कंपनी शेयर प्राइस पर क्या असर पड़ता हैं.
कोई कंपनी अपने शेयर्स मार्किट में से खरीदता हैं तो उसे बाय बैक कहते हैं. ये बाय बैक उस शेयर के मार्किट किमत से जादा किमत पर खरीद ले जाते हैं और इसके लिए कंपनी के रिज़र्व पैसे का उपयोग किया जाता हैं कभी कभी कर्जा भी लिया जाता हैं. कंपनी द्वारा खरीद किए हुए शेयर्स को फिर कैन्सल कर दिया जाता हैं और मार्किट में कंपनी के शेयर्स की संख्या कम हहो जाती हैं. इसकी वजह से शेयर्स के सभी पैरामीटर्स में सुधार हो जाता हैं.
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कंपनी शेयर बाय बैक क्यों करती हैं?

     १.     कंपनी के पास अगर रिज़र्व पैसे बहुत जादा हो गए हो तो उस पैसे का             इस्तेमाल करनेके लिए कम्पनीज बाय बैक करती हैं.
     २.     शेयर बाय बैक करने से कंपनी का प्रति शेयर उत्पन (EPS) बढ़ता हैं.
     ३.     कंपनी के प्रमोटर्स की कंपनी में हिस्सेदारी बढाती हैं.
     ४.     कंपनी शेयर्स के सभी पैरामीटर्स जैसे की EPS, PE रेश्यो, बुक वैल्यू, प्राइस        बुक बढ़ते हैं.
     ५.     शेयर बाय बैक करने के कारण मार्किट में शेयर्स की संख्या कम हो जाती हैं.
     ६.  शेयर बाय बैक करने के कारण अगर मार्किट में मंदी चल रही होती हैं तो शेयर      का प्राइस गिर नहीं जाता

कंपनी को चार प्रकार से  शेयर बाय बैक कर सकती हैं.

      १.     टेंडर ऑफर
      २.     ओपन मार्किट ऑफर
      ३.     विक्री अयोग्य शेयर्स (Physical Share Certificates)
      ४.     कंपनी वर्कर्स या ट्रस्ट को दियेगए शेयर्स

टेंडर ऑफर

टेंडर ऑफर में सभी शेयर होल्डर्स को कंपनी के तय समय पर और तय किमत (जो मार्किट प्राइस से जादा होती हैं.) पर शेयर खरीद का प्रस्ताव रखता हैं. अगर शेयर होल्डर चाहे तो कंपनी को शेयर बेच सकता हैं या नहीं भी. शेयर बेचना या नहीं ये शेयरहोल्डर पर निर्भर करता हैं.

ओपन मार्किट ऑफर

ओपन मार्किट ऑफर में कंपनी शेयर मार्किट से तय समय में तय किमत पर शेयर्स खरीदती हैं. इस प्रकार में कंपनी शेयर मार्किट मैं बोली लगाकर शेयर्स खरीदती हैं.

विक्री अयोग्य शेयर्स (Physical Share Certificates)

शेयर मार्किट में शेयर्स की खरीद या बिक्री इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से की जाती हैं. लेकिन जिन शेयरहोल्डर के पास अभीबी Physical Share Certificates हैं जो खरीद या बीके नहीं जाते, ऐसे शेयर होल्डर्स को कंपनी प्रस्ताव दे कर उनसे वो Physical Share Certificates जो कागज पर होते हैं वो खरीद सकती हैं.

कंपनी वर्कर्स या ट्रस्ट को दियेगए शेयर्स

बहोत सारी कंपनिया अपने वर्कर्स या वर्कर्स ट्रस्ट को शेयर्स देती हैं. वो शेयर्स तय समय के बाद बेचे जा सकते हैं. तो कंपनी उस वर्कर्स या वर्कर्स ट्रस्ट को प्रस्ताव दे करके उस शेयर्स को खरीद सकती हैं.

शेयर्स बाय बैक की प्रोसेस

  १.  सेबी के नियमानुसार शेयर्स बायबैक के पहले कम्पनी के मैनेजमेंट को बायबैक प्रस्ताव को मंजूरी देनी पड़ती हैं. उसमें बायबैक क्यों करना हैं, उसमे कितने शेयर्स होगे, किस किमत पर बायबैक होगा ये होता हैं.
  २.     कंपनी के १०% से जादा शेयर्स बायबैक करना हो तो सभी शेयरहोल्डर्स की मान्यता जरुरी होती हैं.
  ३.     कोई भी कंपनी २५% से जादा शेयर्स की बायबैक नहीं कर सकती , अगर करना हो तो उसे प्रसिद्ध करना पड़ता हैं और वो बायबैक किसे मर्चेंट बैंक के जरिये किया जाता हैं.
  ४.     बायबैक करते समय पुरे खरीद के १५% शेयर्स छोटे निवेशक (जिनका निवेश २ लाख से कम हैं) से खरीदना बंधनकारक हैं.
  ५.     टेंडर ऑफर में तय समय में सभी शेयर्स होल्डर के पास प्रस्ताव जाना जरुरी होता हैं. और इसके पहले कंपनी रिज़र्व का कितना पैसा लगाएगी या कर्जा निकलेगी? ये उस प्रस्ताव में होना जरुरी हैं.
  ६.   बायबैक के बाद कंपनी को एक साल में कोईभी नया बोनस या बोनस शेयर जारी नहीं कर सकती.







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