शेयर मार्किट मैं विकल्प.
शेयर मार्किट मैं विकल्प
शेयर मार्किट से ही किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को आका जाता हैं. यानी जिस
देश का शेयर मार्किट मजबूत होता हैं, तो उसका मतलब होता हैं की उस देश की
अर्थव्यवस्था मजबूत हैं.
शेयर मार्किट माने सिर्फ कंपनी के शेयर में खरीदारी बिकवाली ये हमने समजा
लेकिन शेयर मार्किट मैं सिर्फ कंपनी के शेयर में खरीदारी बिकवाली ही नहीं और बहूत
कुछ होता है. तो आज हम समजेगे की शेयर मार्किट मैं कौन कौन से विकल्प हैं.
शेयर मार्किट
के चार अंग हैं.
इक्विटी मार्किट –
इक्विटी
मार्किट यानी कोई भी कंपनी के शेयर्स खरीदना या बेचना. इसमें आप कोई भी कंपनी के
शेयर्स खरीदकर कितने भी समय तक रख सकते हैं.
इसके दरम्यान कंपनी
के डिविडेंड और बोनस के आप हक़दार हैं. जिस समय तक आप शेयर रखते हो उस समय तक आप कंपनी
के उस शेयर्स के अनुपात मैं हिस्सेदार हो.
डेरीवेटिव (फ्यूचर & ऑप्शन) –
कई निवेशक को इक्विटी मार्किट का परंपरागत तरीका अच्छा लगता हैं. उसमे वो
निवेशक अपनी पूंजी को निवेशित कर सकता हैं. लेकीन अगर कोई निवेशक भविष्य के बाजार का
पूर्वालोकन करने की क्षमता रखता हैं, और उसके पास पूंजी स्तिमित हैं, तो उस प्रकार
में कम पूंजी मैं जादा निवेश के लिए इस प्रकार का उदय हुवा हैं.
डेरीवेटिव ऐसा
प्रकार हैं जिसमे पूंजी की तुलना मैं कई अधिक मात्रा मैं निवेश करने का अवसर
प्राप्त होता हैं. डेरिवेटिव्स वो वित्तीय सौदे हैं जिनकी किमत किसी और साधन पर
आधारित हैं. इसके लिए ये बहूत पॉपुलर हैं.
डेरिवेटिव्स मैं फ्यूचर, ऑप्शन और फोरवोर्ड
मैं सौदे होते हैं, जिनकी वैधता तीन महीने होती हैं. हर महीने के आख़री गुरुवार को
एक F&O (फ्यूचर और ऑप्शन) की वैधता ख़तम होती हैं. इसकी विस्तृत चर्चा हम
आनेवाली पोस्ट मैं करेगे.
Commodity Trading –
किसी भी कमोडिटी याने
उत्पाद की एक्सचेंज के माध्यम से होनेवाली खरीद या बिक्री को कमोडिटी ट्रेडिंग कह
जाता हैं. इसमें घरेलु उत्पाद जैसे चीनी, कपास, हल्दी, सोयाबीन, लगभग सभी धातु, नेचुरल
गैस, क्रूड ऑइल इसका समावेश हैं. भारत मैं कई कमोडिटी एक्सचेंज हैं जिनमे MCX, NMCL, ICEX प्रमुख हैं. इस एक्सचेंज मैं आप
ब्रोकर के जरिए या ऑनलाइन ट्रेडिंग कर सकते हैं. कमोडिटी भी डेरीवेटिव ट्रेडिंग
हैं जिसका कॉन्ट्रैक्ट छह महीने बाद समाप्त होता हैं.
कमोडिटी मैं रिटर्न्स जादा होने के साथ साथ
जोखिम भी जादा हैं. कमोडिटी हैं. ट्रेडिंग का समय सुबह १० से लेकर रात ११.३० तक
चलता हैं.
करेंसी मार्किट (FOREX) –
हर देश की एक करेंसी या चलन होता हैं और जहा इस विभिन देशो के चलन का लेनदेन
किया जाता हैं उसे करेंसी मार्किट या फोरेक्स कहा जाता हैं. फोरेक्स मैं अलग अलग
देशों के चलन मैं ट्रेडिंग की जाती हैं. जिसमे ये देखा जाता हैं की एक देश के चलन के
सामने दुसरे देश के चलन की किंमत क्या हैं और उस डिफरेंस होता हैं उसमे ट्रेडिंग
की जाती हैं. ये डिफरेंस हर रोज बदलता रहता हैं.
भारत मैं
सिर्फ चार करेंसी पर ट्रेडिंग चलती हैं.
१. अमेरिका (USD)
– अमेरिकन डॉलर
२. ग्रेट ब्रिटन
(GBP) – ग्रेट ब्रिटन पौंड
३. जापान (YEN) –
जापनिस येन
४. यूरोप (EURO)
– यूरोप यूरो
फोरेक्स मैं
करेंसी पेअर पर ट्रेडिंग होती हैं. इसमें एक होती हैं बेस करेंसी और दूसरी टर्म
करेंसी.
उदहारण –
जब मुझे USD खरीदना हैं तो पेअर होगी USD|INR
जिसमे USD हैं बेस करेंसी और INR हैं इंडियन रुपये.
करेंसी मार्किट भीं डेरीवेटिव मार्किट हैं
जिसमे कॉन्ट्रैक्ट की सीमा बारह महीने होती हैं.
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